बहुत हैगौ भगवान अब परीक्षा न ले, पुष्कर संग सबौ सुरंग है भ्यार निकाल..
-चार घंटे से बेटे के सकुशल बाहर निकलने की प्रतीक्षा में बैठे हैं पुष्कर के माता पिता
-साढ़े तीन बजे सिलक्यारा गए बड़े बेटे विक्रम ने किया था फोन
चंपावत : हे भगवान, बहुत हैगो, अब देर न कर। मेरे भ संग तू सबौ कि परीक्षा कब तक लेलै। सबै सुरंग में बहुत परेशान है रै होला। सबै लोग अपनी-अपनी भाषा बोलन्यान, कोई के कून लागरौ, कोई के। साढितीन बाज्या विक्रमक लै फोन कर जल्दी निकलना कि बात बताछि, दुबारा फोन ना आयो। कि हैरे होलो…, अर्थात हे भगवान बहुत हो गया, अब देर काहे की। मेरे बेटे के साथ तू सबकी परीक्षा कब तक लेगा। सभी लोग अपनी-अपनी भाषा बोल रहे हैं। कोई कुछ कहता है कोई कुछ बोलता है। विक्रम (सिलक्यारा गया बड़ा बेटा) ने साढ़े तीन बजे फोन बर बताया था कि कुछ देर में सभी निकल जाएंगे। दोबारा उसका फोन नहीं आया। अब वहां क्या चल रहा होगा। यह बात उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे टनकपुर के छीनीगोठ निवासी पुष्कर सिंह ऐरी की मां के शब्द हैं।
उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल में 12 नवंबर से फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए मंगलवार की दोपहर में जैसे ही उल्टी गिनती शुरू हुई वैसे ही अन्य मजदूरों के स्वजनों की तरह चंपावत जनपद के टनकपुर निवासी पुष्कर सिंह ऐरी के माता पिता के चेहरे खिल गए। पुष्कर के माता, पिता को स्थानीय लोग रेसक्यू के अंतिम क्षणों की पल-पल की खबर देते रहे। अपरान्ह साढ़े तीन बजे सिलक्यारा पहुंचे उनके बड़े बेटे विक्रम सिंह ऐरी ने अपनी पत्नी ममता को फोन कर माता पिता को बताया कि अगले कुछ घंटों में सभी लोग सकुशल टनल से बाहर निकल जाएंगे। जिसके बाद माता पिता दोनों अत्यंत भावुक हो गए। उनके चेहरे पर काफी दिनों बाद मुस्कुराहट भी तैर गई। भाभी ममता भी खुश नजर आई। उन्होंने ईश्वर को धन्यवाद देते हुए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की भी प्रशंसा की। महज दो दिन पूर्व ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने छीनीगोठ में पुष्कर ऐरी के घर जाकर उसके माता पिता को आश्वस्त किया था कि उनके बेटे सहित सभी मजदूर जल्दी ही टनल से सुरक्षित बाहर निकल आएंगे। पुष्कर सिंह ऐरी 12 नवंबर से सिल्क्यारा सुरंग में फंसे थे। पिथौरागढ़ जिले के कनालीछीना से चार दशक पूर्व छीनीगोठ में आकर बसे पुष्कर के पिता राम सिंह ऐरी व माता गंगा देवी बेटे के सुरंग में फंसने की खबर मिलने के बाद से ही सदमे मे थे। उन्हें 13 नवंबर को अपने बेटे के सुरंग में फंसा होने की जानकारी मिली थी। 15 नवंबर को पुष्कर के बड़े भाई विक्रम सिंह ऐरी सिल्क्यारा पहुंच गए थे। तब से वे लगातार अपने भाई के सकुशल निकलने की राह देख रहे थे। मंगलवार की दोहपर बाद जैसे ही पुष्कर के स्वजनों को खबर मिली कि शाम चार बजे तक सभी मजदूर बाहर निकाल लिए जाएंगे तब से उनकी उम्मीदों को पंख लग गए। माता पिता सहित परिवार के सभी सदस्य पुष्कर के जल्द से जल्द टनल से बाहर निकलने की प्रार्थना कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि किसी भी पल उनके बाहर निकलने की खुशखबरी मिल सकती है।